Friday, March 25, 2011

तुरुप का पत्ता युवराज सिंह





तुरुप का पत्ता युवराज सिंह



युवराज की क्रिकेट से पहली कमाई 500 रुपये थी जो पंजाब क्रिकेट असोसिएशन ने उन्हें दिया था. आजकल कमाई के मामले में धोनी और सचिन के बाद युवराज ही हैं. 2009 में उनकी विज्ञापनों से आय करीब 25करोड़ थी



कहाँ तो युवराज सिंह पिछले साल इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने की सोच रहे थे, जब उन्हें एशिया कप और आस्ट्रेलिया के खिलाफ
वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था, वहां चयनकर्ताओं उन्हें तुरुप का पत्ता कह रहे हैं. कहा जा रहा है अगर युवराज और अन्य फार्म में रहे तो भारत वर्ल्ड कप जीत सकता है. अब निगाहें मोहाली में होनेवाले सेमी फायनल पर होगी जो पाकिस्तान के खिलाफ खेला जाना है. टीम को यहाँ तक लाने का श्रेय युवराज को है, जो क्वार्टर फायनल में 'मैन ऑफ़ दी मैच' थे.

एक लाईन में उनका परिचय है,ये वही युवराज सिंह हैं, जिन्होंने 10दिसंबर 2007 को टी-20 मैच में इंग्लैण्ड के खिलाफ स्टुअर्ड ब्राट के
एक ओवर में 6 छक्के मारकर इतिहास बनाया था. पहला सिक्सर टी-20 के इतिहास का सबसे लम्बा सिक्सर था, दूसरा स्क्वेयर, तीसरा लांग ऑफ, चौथा ओवर प्वाइंट, पांचवां मिडविकेट पर मिस हिट और छठा लांग.
युवराज सिंह यानी भारतीय क्रिकेट टीम के मध्यक्रम के बल्लेबाज़, लेफ्ट आर्म स्पिनर, टीम इण्डिया, एशिया इलेवन, किंग्स इलेवन पंजाब, पंजाब योर्कशायर आदि टीम के स्टार खिलाड़ी. जिन्होंने पहला गोल्ड मैडल स्केटिंग में जीता था, और उसे उनके पिता योगराज सिंह ने चलती कार से बाहर फैंक दिया था और कहा था कि तुम्हें तो क्रिकेट, सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट ही खेलना है. चंडीगढ़ में ऐशो आराम से रहनेवाले युवराज के पिता ने 14 साल के बेटे को मुंबई की क्रिकेट अकेडमी में भर्ती करा दिया. युवराज अंधेरी में रहते थे और भीड़भरी लोकल ट्रेन से रोज़ चर्चगेट आते और ओवल मैदान में प्रेक्टिस करते. बरसों उन्होंने मुंबई की लोकल ट्रेन में अपना किटबैग ढोया. पंजाब की अंडर 19 टीम के कप्तान के रूप में वे सबसे पहले लाइम लाईट में आये जब उन्होंने 358 रन बनाये थे. सन 2000 में उन्हें श्रीलंका के खिलाफ अंडर 19 टीम में मौका मिला और फिर नेशनल क्रिकेट अकेडमी में उनकी जगह पक्की हो गई. उसके बाद तो उन्होंने केवल इतिहास ही बनाया है. उनका बल्ला, गेंदबाजी और फुर्तीली फील्डिंग टीम को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ती.

युवराज की क्रिकेट से पहली कमाई 500 रुपये थी जो पंजाब क्रिकेट असोसिएशन ने उन्हें दिया था. आजकल कमाई के मामले में धोनी और सचिन के बाद युवराज ही हैं. 2009 में उनकी विज्ञापनों से आय करीब 25करोड़ थी जो 2010 में घटकर करीब 16 करोड़ हो गई थी. इनकम टैक्स के अलावा सर्विस टैक्स के रूप में भी करोड़ों रुपये चुकाते हैं. वर्ल्ड कप जीत गए तो टीम को 18 करोड़ रुपये इनाम में मिलेंगे यानी हर खिलाड़ी को एक करोड़ से भी ज्यादा. 1983 में वर्ल्ड कप जीतने पर टीम इण्डिया को केवल पंद्रह लाख के करीब मिले थे.

विवादों का युवराज से पुराना दोस्ताना है. कभी उन पर टैक्स कम देने का इलजाम लगता है तो कभी लन्दन का आब्जर्वर उन्हें टॉप टेन घमंडी लोगों में शुमार करता है. कभी अभिनेत्री अनुषा दांडेकर से उनका नाम जुड़ता है तो कभी किम शर्मा से, कभी वे दीपिका पादुकोण के साथ बर्थडे मनाते है तो कभी मिनीषा लाम्बा के साथ उनके लिप लाक की चर्चा होती है. कभी माडल शमिता सिन्हा, कभी साउथ की करिश्मा कोटक और कभी कन्नड़ हीरोइन जेनिफर कोतवाल से उनके संबंधों की खबरें आती हैं. वे कई के साथ दोस्ती मानते हैं और यह भी कहते हैं कि दीपिका पादुकोण ने मेरा दिल तोड़ दिया.

सचिन युवराज के प्रिय खिलाड़ी हैं और अपनी जिन्दगी में पहला आटोग्राफ उन्होंने सचिन का ही लिया था. उनका कहना है कि मैं वर्ल्ड कप जीतने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ. मैं वर्ल्ड कप जीतकर सचिन के हाथों में देखना चाहता हूँ. यह मेरे लिए एक सपने जैसा है.
प्रकाश हिन्दुस्तानी


हिन्दुस्तान
27 march 2011

Sunday, March 20, 2011

दिल तो बच्चा है जी : मि. बीन







मि. बीन का कहना है कि मैं बहुत बोर किस्म का आदमी हूँ. जिन्दगी क्लोज़ अप में ट्रेजेडी लगती है लेकिन लॉन्ग शॉट में वह है कोमेडी ही.


कॉमेडियन की ज़िंदगी का लाँग शॉट : मिस्टर बिन

मि. बीन यानी रोवन सेबेस्टियन एटकिंसन के लिए पूरी दुनिया रंग रंगीली है. नौजवान शरीर में बच्चा ! विचार और हरकतें बच्चों जैसी. मिस्टर बीन का नाम लेते ही मुस्कान आ जाती है. 'आब्जर्वर' ने उन्हें दुनिया के टॉप टेन कॉमेडियन में शुमार किया है. कॉमेडी में उनका जवाब नहीं. चार्ली चेप्लिन और पीटर सेलर्स से प्रभावित मि. बीन फिजिकल कॉमेडी करते हैं और डॉयलाग की जगह फेस एक्सप्रेशन से ज्यादा बात कह जाते हैं. यही कारण है कि उनके प्रोग्राम हर भाषा में लोकप्रिय हैं. वह हैं तो ब्रिटिश, लेकिन भारत, मिस्र, फ़्रांस, स्पेन, हंगरी, इटली जैसे देशों में भी उनकी लोकप्रियता काफी है. मंच, रेडियो, टीवी, फ़िल्म माध्यमों से वे लोगों को गुदगुदाते हैं. स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी मुस्कराहट की गारंटी होती है. वे स्क्रीन पर कभी मोनालिसा बन मुस्कराते हैं तो कभी लादेन, कभी ओबामा और कभी जेम्स बॉन्ड. मि. बीन कुछ भी करें, व्यूअर्स को मज़ा आ जाता है. उनकी तकलीफ लोगों को खिलखिलाती है. वे शहर में जाते हैं तो मज़ाक, अपना काम खुद करते हैं तो हंसी. उनका कपड़े बदलना, यात्रा करना, चर्च जाना, कार चलाना सब कुछ कॉमेडी हो जाता है.

मि. बीन के शो टीवी पर ज़बरदस्त लोकप्रिय हैं. उन पर आधारित एनीमेशन कैरेक्टर की भी धूम है. फेसबुक पर उनके चाहनेवालों की तादाद 70 लाख से भी ज्यादा है. यू ट्यूब पर भी उनके वीडियो क्लिपिंग्स खूब देखे आते हैं. उनके स्टैंडअप कॉमेडी आम तौर पर मोनोलॉग ज्यादा होती है. टीवी की दुनिया में उनका सबसे बड़ा धमाका 'नॉट दी नाइन ओ क्लॉक न्यूज़' माना जाता है और मि. बीन के नाम से बने सभी सीरियल पसंद किये गए. अब तो लोग उनका असली नाम लेना ही भूलते जा रहे हैं. मि. बीन के कार्टून कैरेक्टर बच्चों से साथ ही बड़ों में भी लोकप्रिय हैं.

मि. बीन ने सभी तरह की फ़िल्में भी की हैं जेम्स बॉन्ड जैसी जासूसी कथा हो, या प्यार मोहब्बत, वोल्ट डिस्नी के कैरेक्टर हों या कॉमेडी. 'नेवर से नेवर अगेन', 'फोर वेविंग एंड ए फ्यूनरल', दी लायन किंग', 'रेट रेस..' 'दी विचेस' जैसी करीब बीस मशहूर फिल्मों में भी काम किया है. एक्टिंग का शौक उन्हें पढ़ाई के दौरान 1976 में लगा. 1978 में उन्होंने बीबीसी रेडियो थ्री पर एटकिंसन पीपुल नामक शो भी किया लेकिन लाइमलाइट में आये 1990 में, जब टीवी पर 'नॉट दी नाइन ओ क्लॉक न्यूज़' शो पेश किया.

6 जनवरी 1955 को जन्मे मि. बीन ना केवल वाइड रेंज ऑफ़ ह्यूमरस चेहरे के मालिक हैं, बल्कि कारों के भी शौकीन है. एक पत्रिका में उन्होंने कारों - रिव्यू कॉलम भी लिखा है. स्कूल में टोनी ब्लेयर के सहपाठी रहे, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढाई करनेवाले मि. बीन का कहना है कि मैं बहुत बोर किस्म का आदमी हूँ. 1980 में उनके मुलाक़ात बीबीसी की मेकअप आर्टिस्ट सुनेत्रा शास्त्री से हुई थी, जो दस साल बाद शादी में तब्दील हुई और आज उनके दो बच्चे हैं. मि. बीन का कहना है कि जिन्दगी क्लोज़ अप में ट्रेजेडी लगती है लेकिन लॉन्ग शॉट में वह है कॉमेडी ही.

प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान
20 मार्च 2011

Sunday, March 13, 2011



क्रिकेट के अलावा टीवी रियल्टी शो भी सट्टे के शिकार हो रहे हैं. 'झलक दिखला जा' पर करोड़ों का सट्टा खेला गया और सटोरियों ने मियांग चांग की जीत पर वारा-न्यारा किया.


रियल्टी शो में करोड़ों का सट्टा

अब तक यह बीमारी क्रिकेट में ही थी पर अब टीवी के रियल्टी शो भी इसकी जद में आ चुके हैं. j खबर है कि डांसिंग विथ स्टार्स के भारतीय संस्करण 'झलक दिखला जा' में विजेता को लेकर एक सप्ताह में करीब दो सौ करोड़ रुपये का सट्टा लगा. जिन लोगों ने मईयांग चंग की जीत पर सट्टा लगाया था उनके वारे न्यारे हो गए क्योंकि चंग बहुत दमदार डांसर नहीं माने जाते थे क्योंकि वे पेशे से डेंटिस्ट और शौकिया गायक रहे हैं जिन्होंने इंडियन आयडल थ्री में विजेता होने के बाद स्टेज शो की एंकरिंग और एक्टिंग भी शुरू कर दी है और बदमाश कंपनी फ़िल्म में शाहिद कपूर के मित्र का रोल कर चुके हैं. प्रीतीश नंदी की आनेवाली फ़िल्म सेवेंतींस में भी वह आनेवाले हैं.

'झलक दिखला जा' प्रोग्राम शुरूआत से ही बहुत चर्चित हो गया था क्योंकि इसमें शामिल होने वाले भी ख़ास थे और इसके जज भी. डांस की झलक दिखलानेवालों में 'बाबूजी ज़रा धीरे चलो' फेम याना गुप्ता भी थीं और रेणुका शहाने, शेखर सुमन, सलमान, अनुष्का मनचंदा, रागिनी खन्ना, माही विज, अंकिता लोखंडे, दयानंद शेट्टी जैसे कलाकारों के अलावा बाक्सर अखिल कुमार ने भी अपनी कला को आजमाया. सुशांत सिंह राजपूत और याना गुप्ता में से ही किसी को विजेता माना जा रहा था पर जीत मिली मईयांग चंग को. आख़िरी दौर में मईयांग चंग को सबसे ज्यादा एसएमएस मिले, जिसके आधार पर उन्हें विजेता करार दिया गया. इस मशहूर शो के होस्ट थे मोना सिंह (जस्सी) और सुमीत राघवन. यह शो इसलिए ही चर्चा में रहा कि 'धक् धक् गर्ल' माधुरी दीक्षित इसके तीन जजों में से प्रमुख थीं. मलाईका अरोरा खान और रेमो डिसूजा अन्य जज थे. इस पूरे शो के दौरान अनेक फ़िल्मी सितारों ने भी हाजिरी दर्ज कराई और डांसर्स का हौसला बढ़ाया.

झलक दिखला जा की शुरूआत ही धमाकेदार हुई थी. पहले शो में ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और कैबरे क्वीन हेलेन के साथ ही गोविंदा, धर्मेन्द्र आदि ने प्रोग्राम में आकर झलकियाँ दिखाई थी. बाद में प्रियका चोपड़ा, रानी मुखर्जी, रितेश देशमुख आदि भी प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाने और अपनी आनेवाली फिल्मों का प्रचार करने आ गए थे. इस डांस शो में प्रतिभागियों को सभी तरह के डांस करने थे जिनमें जाज़, साम्बा, चा चा, साल्सा, टेंगो, फोक, क्लासिकल, लोकिंग एंड पोपिंग, हिप हाप सभी तरह के डांस करने थे. हरेक के साथ एक एक जोडीदार भी था जो आम तौर पर डांस डायरेक्टर था. तेरह हफ्ते के इस प्रोग्राम में हार हफ्ते एक एक टीम आउट होती गयी. अंत तक बची मईयांग चंग, याना गुप्ता और सुशांत सिंह राजपूत की जोड़ी और फैसला होना था जनता के एस एम एस से मिले वोटों के आधार पर. यह माना जा रहा था कि मईयांग चंग मूलत: डांसर नहीं हैं इसलिए यह जीत किसी डांसर की ही होगी. कौन जीतेगा सट्टा इसी बात पर था और सटोरियों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की होगी कि वे सट्टे में भारी मुनाफा कमायें, जिसके लिए बड़ी संख्या में एसएमएस भेजे और भिजवाये गए होंगे. मईयांग चंग पहले इंडियन आयडल थ्री के विजेता रह चुके हैं लेकिन यहाँ मामला गायन का नहीं, डांस का था और चीनी मूल के भारतीय डेंटिस्ट चंग को वोट देनेवालों की तादाद का भी अंदाज़ शायद ही था. सट्टे बाज़ार कि मज़बूरी होती है कि अगर किसी एक प्रतियोगी की जीत का बड़ा सट्टा अगर खा लिया जाए तो वह उसे हराने और मुनाफा कमाने के लिए जुट जाता है. अमेरिका में रियल्टी शो में यह आम बात है और दुनिया के कई देशों में तो सट्टा भी गैरकानूनी नहीं माना जाता.

जिस तरह क्रिकेट में होनेवाल सट्टा खेल को प्रभावित करता है वैसे ही यहाँ भी सटोरियों की वोटिंग से सही प्रतियोगियों का हौसला पस्त होता है लेकिन यहाँ बात डांस की नहीं, धंधे की है. विजेता टीम को भले ही पचास लाख रुपये मिलें, सटोरियों के तो करोड़ों रुपये लगे होते हैं. ऐसे सट्टेबाजों के बीच कलाकारों पर क्या गुजराती होगी, यह तो वे ही बता सकते हैं!
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान
13 मार्च 2011

Friday, March 11, 2011





दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति का कहना है कि मैं दूसरों के लिए नहीं जीता. अगर कोई आदमी यह सोचकर ही काम करे कि दूसरे क्या सोचेंगे तो मैं ऐसे आदमी को मरा हुआ मानूंगा.... मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरी मौत के बाद लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे!


दुनिया का सबसे धनी कार्लोस स्लिम

नाम : कार्लोस स्लिम (सही नाम सेलिम, जो अरबी के सलीम से बना है).
पोजीशन : 'फ़ोर्ब्स' के मुताबिक़ दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति.
व्यवसाय : मेक्सिको और 11 लातिन अमेरिकी देशों में टेली कम्युनिकेशन इंडस्ट्री के सिरमौर.
संपत्ति : 7400 करोड़ डॉलर के आपपास, जो हर मिनिट बढ़ती रहती है.
पसंदीदा वाक्य : बगैर हिंसा के दूसरों की जेब से पैसा निकलना ही बिजनेस है!


16 साल बाद 'फ़ोर्ब्स' की सूची में कोई गैर अमेरिकी धन के मामले में सबसे ऊपर आया है. बिल गेट्स और वारेन बफेट को पीछे छोड़नेवाले कार्लोस मेक्सिको में रहते हैं जहाँ की अर्थ व्यवस्था पहले ही बर्बादी के कगार पर है और वहां की करीब 20 फीसदी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. टेलीकॉम इंडस्ट्री में कार्लोस की कंपनी टेलमेक्स की हिस्सेदारी ९० फीसदी है. दुनिया की सबसे महंगी टेलीकॉम सेवा मेक्सिको में है.
गरीबों के देश की सबसे महंगी सेवा की मोनोपोली के मालिक का मानना है कि दान देने से गरीबी दूर नहीं हो सकती. फिर ही उन्होंने अपनी अकूत सम्पदा में से करीब 6 प्रतिशत दान देने की योजना बनाई है.

कार्लोस को दिखावे का ज्यादा शौक नहीं. चालीस साल से उसी घर में रह रहे हैं. शौक है कलाकृतियाँ इकट्ठी करने का. हाल ही में अपने आर्किटेक्ट दामाद के साथ मिलकर आर्ट म्यूजियम खोलने जा रहे हैं जिसमें उनकी खरीदी हुई दो हज़ार से ज्यादा कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा. इनमें पाब्लो पिकासो, सल्वाडोर डाली, दियेगा रिवेरा आदि की कृतियाँ मुख्य होंगी. कार्लोस खुद बहुत टेक्नो सेवी नहीं हैं. उनके पास एक लेपटॉप भी है, लेकिन वे कागजों पर लिखना पसंद करते है. उनका कहना है कि मैं 'पेपर मैन' हूँ. उनका खयाल है कि इन्टरनेट नए सिविलाइजेशन का हार्ट है, लेकिन टेलीकम्युनिकेशन उसका नर्वस सिस्टम है.

दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति का कहना है कि मैं दूसरों के लिए नहीं जीता. अगर कोई आदमी यह सोचकर ही काम करे कि दूसरे क्या सोचेंगे तो मैं ऐसे आदमी को मरा हुआ मानूंगा.... मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरी मौत के बाद लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे! ...''दुनिया में ई कॉमर्स कितना भी बढ़ जाए, पुरानी चीज़ों का महत्त्व भी रहेगा ही. मकान बनाना हो तो ईंटें भी लगेगी ही.... मैं अपने पेड़ के फल शेयर करना पसंद करता हूँ, पेड़ को नहीं. इन बातों से कार्लोस का नजरिया समझा जा सका है.

28 जनवरी 1940 को जन्मे कार्लोस लेबनान के हैं और 14 साल कि उम्र में ही मेक्सिको आ गए थे. जहां उनके पिता 38 साल पहले बस गए थे. कार्लोस के पिता व्यवसायी थे और नहीं चाहते थे कि लेबनानी क़ानून के अनुसार 15 का होते ही उनका बेटा अनिवार्य फौजी सेवा में जाए. पिता से धंधे के गुर सीखनेवाले कार्लोस ने पहले रियल स्टेट और अन्य व्यवसाय किये और मेक्सिको की बदहाली के दिनों में विनिवेश होती कंपनियों को खरीदकर बहुत दौलत कमाई. वे मानते है कि शेयर बाजार में आज कोई ऊपर है तो कल नीचे हो सकता है लेकिन उनका लक्ष्य साफ है--सबसे धनी व्यक्ति होना, सबसे ज्यादा सम्मानित धनी होने को वे कोई पैमाना नहीं मानते.
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान
13 मार्च 2011

Friday, March 04, 2011




गायिका आशा भोसले अब हिंदी फ़िल्म 'माई' में लीड रोल करने जा रही हैं. वे हैं तो केवल 78 की, लेकिन जोश 23 साल की यौवना से भी कहीं ज्यादा है. कोई बहरा इंसान ही होगा जो उनके गीतों का फैन ना हो. मस्त, जिंदादिल, मेहनती, उत्साह से लबरेज़ आशा को हर तरह के गाने पसंद हैं. न तो मुन्नी की बदनामी से एलर्जी है, न शीला की जवानी से.



'जवान' आशा भोसले का नया रोल

इंटरप्रेन्योर, शेफ, होटेलियर, इंटीरियर डिजाइनर, गृहिणी और गायिका आशा भोसले अब हिंदी फ़िल्म 'माई' में लीड रोल करने जा रही हैं. वे हैं तो केवल 78 की, लेकिन जोश 23 साल की यौवना से भी कहीं ज्यादा है. कोई बहरा इंसान ही होगा जो उनके गीतों का फैन ना हो. मस्त, जिंदादिल, मेहनती, उत्साह से लबरेज़ आशा को हर तरह के गाने पसंद हैं. न तो मुन्नी की बदनामी से एलर्जी है, न शीला की जवानी से. उन्होंने अपने दादा की उम्र के संगीतकारों के साथ भी काम किया है और अपने पोतों की उम्र वालों के साथ भी. उन्होंने रवि शंकर के गुरु उस्ताद अली अकबर खान के साथ भी बंदिशें गाई थीं और हाल ही उनका एक अलबम सुनिधि चौहान के साथ भी आया है.

आशा भोसले ने दस साल की उम्र में फिल्मों में गाना शुरू किया था, पहला सोलो उन्होंने ग्यारह की उम्र में गया था. जब वे 16 साल की थीं, तब अपने सचिव गणपतराव भोसले से शादी कर ली थी, जो उनसे पंद्रह साल बड़े थे. लता और परिवार के दूसरे लोगों को यह पसंद नहीं था और इस कारण उनकी बोलचाल बंद हो गयी. इस शादी के करीब 12 साल बाद वे अपने पति का घर छोड़ वापस आयीं तब दो बच्चे गोद में और एक गर्भ में था. अपने सपने को जीने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. वह दौर शमसाद बेगम, गीता दत्त और लता मंगेशकर का था. ये जो गीत ठुकराते, वही आशा झपट लेतीं. पर यह सब भी आसान नहीं था. जो गाने मिलते, वही गातीं. हेलन की आवाज़ वे बन चुकी थी. कैबरे - गीतों की सरताज. संगीतकार ओ पी नय्यर से नज़दीकी बड़ी तो लता फिर नाराज़ हो गयीं आशा और नय्यर दोनों से. 1980 में उन्होंने संगीतकार राहुलदेव बर्मन से ब्याह रचाया. राहुलदेव बर्मन और आशा ने अनेक यादगार गाने दिए हैं, जिनमें दम मारो दम (हरे राम हरे कृष्णा), महबूबा महबूबा (शोले), पिया तू अब तो आजा (कारवां), चुरा लिया है तुमने जो दिल (यादों की बरात), मेरा कुछ सामान (इजाज़त) कुछ नमूने हैं. उन्होंने बिमल रॉय की परिणीता, राज कपूर की बूट पॉलिश और बीआर चोपड़ा की फ़िल्म नया दौर में भी गाने गाये, लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार मिला मुजफ्फर अली की उमराव जान के गानों के बाद.

आशा भोसले वर्सेटाइल गायिका हैं. क्लासिकल, फोक, ग़ज़ल, कव्वाली, रवींद्र संगीत सभी कुछ गया है. उनके गाने में क्वालिटी भी है और क्वान्टिटी भी. वे मोस्ट रिकार्डेड गायिका हैं और करीब एक हजार फिल्मों के अलावा उन्होंने दुनिया भर में सैकड़ों स्टेज शो और अलबम्स के लिए भी गाया है. कोई बड़ा संगीतकार या गायक नहीं है, जिसके साथ उन्होंने गाया न हो. उन्होंने हिंदी, मराठी, बांग्ला, असमिया, उर्दू, तमिल, तेलुगु, नेपाली, रशियन, चेक, मलय आदि में गाने गाये हैं. भारतीय गायकों के अलावा बॉय जार्ज, माइकेल स्टिप और क्रिकेटर ब्रेट ली के साथ भी गाने गाये हैं.

1933 में जन्मीं आशा अपनी निजी ज़िंदगी में भी वर्सेटाइल हैं. दुबई, दोहा, अबू धाबी, कुवैत में उनके रेस्टोरेंट हैं. रस्सेल स्कॉट के साथ वे अगले पांच साल में 40 और रेस्टोरेंट खोलने जा रही हैं. वे लाजवाब कुक हैं और कढाई गोष्ट, बिरयानी,पाया करी, गोवन फिश करी, दाल आदि बनने में एक्सपर्ट हैं. शेफ को खुद ट्रेनिंग देती हैं. हर साल अपने घर का पूरा इंटीरियर खुद बदलती है. सफ़ेद साड़ी पर चमकीली अम्ब्रायड्री, गले में मोटी और हीरे के जेवरों के साथ ही टेनिस शू पहनना उन्हें प्रिय है. हाल ही एक बयान में उन्होंने मुंबई पुलिस को असभ्य कहा था, जिसे प्रशासन ने गंभीरता से लिया और पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग शुरू कर दी गयी. अब माई के रोल में उनकी भूमिका का इंतज़ार है.
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान
6 मार्च 2011